शुद्ध दूध भी देता है बीमारियों को न्यौता
Health 4:15 AM
भारत में मिलावटी दूध को सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है, लेकिन सुनकर ताज्जुब होगा कि शुद्ध दूध भी सेहत के लिए फायदेमंद नहीं है। शुद्ध दूध से भी कई तरह की बीमारियां हो जाती है जिसमें कैंसर भी शामिल है।
यह बात अमेरिकी डॉक्टर जॉन मेक्दुगल के सहयोगी डॉ. जी.डी. अग्रवाल ने शुक्रवार को एक निजी होटल में आयोजित सेमीनार के दौरान कही। उन्होंने बताया कि डॉक्टर जॉन मेक्दुगल ने अपने शोध के दौरान शुद्ध दूध के शरीर पर कई हानिकारक परिणाम पाए हैं।
मेक्दुगल के शोध के अनुसार मानव शरीर में ग्रोथ हार्मोन होता है और दूध में भी यही ग्रोथ हार्मोन होता है। दूध पीने से ग्रोथ हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा दूध का प्रोटीन भी एमिनो एसिड से बनता है और शरीर के भीतर भी पहले से एमिनो एसिड होता है।
यह आपस में मिलकर परस्पर विरोधी के रूप में काम करते हैं। इसे चिकित्सीय भाषा में आटो इम्युन डिसीज कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि शरीर अपने ही खिलाफ लड़ाई लड़ने लगता है। इससे दिल की बीमारियां, केंसर, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियां हो जाती हैं।
सेमीनार में डॉ. जॉन मेक्दुगल ने ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि भारत में इस तथ्य को स्वीकार करने में काफी समय लग सकता है। दूध सेहत के लिए इतना खतरनाक है कि विश्व भर में चिंता जताई जा रही है कि लोगों को इसके प्रति जागरू क किया जाए।
उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को दो बार दिल का दौरा पड़ा। जब शोध का हवाला देते हुए उनकी भोजन शैली में परिवर्तन किया गया तो फलस्वरूप उनका वजन 24 पौंड कम हो गया। आज पूर्ण रूप से स्वस्थ क्लिंटन भी इस शोध को स्वीकार कर चुके हैं। सेमीनार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई शोधकर्ताओं और डॉक्टरों ने अपने विचार रखे।
यह बात अमेरिकी डॉक्टर जॉन मेक्दुगल के सहयोगी डॉ. जी.डी. अग्रवाल ने शुक्रवार को एक निजी होटल में आयोजित सेमीनार के दौरान कही। उन्होंने बताया कि डॉक्टर जॉन मेक्दुगल ने अपने शोध के दौरान शुद्ध दूध के शरीर पर कई हानिकारक परिणाम पाए हैं।
मेक्दुगल के शोध के अनुसार मानव शरीर में ग्रोथ हार्मोन होता है और दूध में भी यही ग्रोथ हार्मोन होता है। दूध पीने से ग्रोथ हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है। इसके अलावा दूध का प्रोटीन भी एमिनो एसिड से बनता है और शरीर के भीतर भी पहले से एमिनो एसिड होता है।
यह आपस में मिलकर परस्पर विरोधी के रूप में काम करते हैं। इसे चिकित्सीय भाषा में आटो इम्युन डिसीज कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि शरीर अपने ही खिलाफ लड़ाई लड़ने लगता है। इससे दिल की बीमारियां, केंसर, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियां हो जाती हैं।
सेमीनार में डॉ. जॉन मेक्दुगल ने ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि भारत में इस तथ्य को स्वीकार करने में काफी समय लग सकता है। दूध सेहत के लिए इतना खतरनाक है कि विश्व भर में चिंता जताई जा रही है कि लोगों को इसके प्रति जागरू क किया जाए।
उन्होंने कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को दो बार दिल का दौरा पड़ा। जब शोध का हवाला देते हुए उनकी भोजन शैली में परिवर्तन किया गया तो फलस्वरूप उनका वजन 24 पौंड कम हो गया। आज पूर्ण रूप से स्वस्थ क्लिंटन भी इस शोध को स्वीकार कर चुके हैं। सेमीनार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई शोधकर्ताओं और डॉक्टरों ने अपने विचार रखे।