शोध व उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत : प्रणब
Top News 12:45 AM
इलाहाबाद । राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के संस्थानों में शोध व उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति होने के बावजूद विश्व के 200 टॉप विश्वविद्यालयों में भारत के एक भी विश्र्र्वविद्यालय के नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।
बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों व तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने को कहा। राष्ट्रपति मंगलवार को मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 9वें दीक्षांत समरोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पिछले साल दो करोड़ 60 लाख छात्र स्नातक और परास्नातक में अध्ययनरत थे पर केवल एक लाख विद्यार्थियों ने पीएचडी में प्रवेश लिया था। शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों के बावजूद भी भारत शोध और नवोन्मेष में चीन और अमेरिका जैसे देशों से काफी पीछे है।
राष्ट्रपति ने भारत, अमेरिका, चीन और जापान द्वारा इस वर्ष दाखिल पेटेंट-आवेदनों की संख्या का उल्लेख करते हुए भारत की स्थिति को कमजोर बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के चार लाख 20 हजार, चीन तीन लाख, जापान के एक लाख 70 हजार आवेदनों की तुलना में भारत के बौद्धिक जगत ने केवल छह हजार आवेदन किए हैं। यह दुनिया के पेटेंट आवेदनों का महज 0.30 फीसद है। उन्होंने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों से अपील की कि वे न केवल विश्र्र्व रैंकिंग में शामिल होने की होड़ में रहें, बल्कि विश्वस्तर की सुविधाएं भी प्रदान करें।
बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों व तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने को कहा। राष्ट्रपति मंगलवार को मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 9वें दीक्षांत समरोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पिछले साल दो करोड़ 60 लाख छात्र स्नातक और परास्नातक में अध्ययनरत थे पर केवल एक लाख विद्यार्थियों ने पीएचडी में प्रवेश लिया था। शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों के बावजूद भी भारत शोध और नवोन्मेष में चीन और अमेरिका जैसे देशों से काफी पीछे है।
राष्ट्रपति ने भारत, अमेरिका, चीन और जापान द्वारा इस वर्ष दाखिल पेटेंट-आवेदनों की संख्या का उल्लेख करते हुए भारत की स्थिति को कमजोर बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के चार लाख 20 हजार, चीन तीन लाख, जापान के एक लाख 70 हजार आवेदनों की तुलना में भारत के बौद्धिक जगत ने केवल छह हजार आवेदन किए हैं। यह दुनिया के पेटेंट आवेदनों का महज 0.30 फीसद है। उन्होंने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों से अपील की कि वे न केवल विश्र्र्व रैंकिंग में शामिल होने की होड़ में रहें, बल्कि विश्वस्तर की सुविधाएं भी प्रदान करें।