CWG SCAM : कलमाड़ी के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश
Sports 4:48 AM
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित रिश्वत मामले में राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के बर्खास्त अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी तथा अन्य के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी तथा साजिश के अपराध में आरोप तय करने का आदेश दिया।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश तलवंत सिंह ने कलमाड़ी, आयोजन समिति के पूर्व महासचिव ललित भनोट तथा नौ अन्य के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से स्विस कंपनी, स्विट टाइमिंग ओमैगा को ठेका दिए जाने के मामले में आरोप तय करने का आदेश जारी किया। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा था। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया आठ आरोपियों तथा तीन कंपनियों के खिलाफ जालसाजी, फर्जीवाड़े , आपराधिक साजिश तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप बनते हैं।
अदालत ने कहा, ‘सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा-201 (सबूतों को नष्ट करना), धारा-420 (धोखाधड़ी), धारा-467, धारा-468 ,धारा- 471 (साजिश संबंधी), धारा-506 (आपराधिक तरीके से डराना धमकाना) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप तय करने का आदेश दिया जाता है।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘10 जनवरी को सुबह साढ़े दस बजे औपचारिक रूप से आरोप तय करें।’
सीबीआई ने आरोपियों को वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टाइमिंग, स्कोरिंग तथा रिजल्ट सिस्टम लगाने के लिए गैर कानूनी तरीके से स्विस टाइमिंग को अनाप शनाप दरों पर ठेका दिए जाने के लिए आरोपित किया है। इससे सरकारी खजाने को 90 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। कलमाड़ी और भनोट के अलावा इस मामले के अन्य आरोपियों में आयोजन समिति के महानिदेशक वी के वर्माद्व, महानिदेशक (खरीद) सुरजीत लाल, संयुक्त महानिदेशक (खेल) ए एस वी प्रसाद तथा खंजाची एम जयचंद्रन शामिल हैं। इन लोगों का अब खेल संस्था से कोई संबंध नहीं है।
इस मामले में फरीदाबाद स्थित जैम इंटरनेशनल और हैदराबाद स्थित एकेआर कंस्ट्रक्शन नामक दो विनिर्माण कंपनियों के प्रमोटरों पीडी आर्य और एके मदान तथा एके रेड्डी भी आरोपी हैं। मामले में स्विस टाइम ओमैगा भी आरोपी है। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कलमाड़ी तथा अन्य अधिकारियों ने स्पेनिश कंपनी एमएसएल की कहीं अधिक कम कीमत की बोली को खारिज कर दिया और स्विस टाइमिंग ओमैगा को ठेका दे दिया जिससे सरकारी खजाने को 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपों पर बहस के दौरान सीबीआई के वकील वीके शर्मा ने तर्क दिया था कि कलमाड़ी तथा अन्य ने स्विस कंपनी द्वारा बोली लगाए जाने से पूर्व ही टीएसआर सिस्टम लगाने के लिए स्विस टाइमिंग को ठेका देने का फैसला कर लिया था। शर्मा ने यह भी कहा था कि टीएसआर लगाने के लिए दो निविदाएं मिली थीं- एक स्विस टाइमिंग की ओर से तथा एक एमएसएल स्पेन की ओर से और दोनों ही निविदाओं को 4 नवंबर 2009 को खोला गया लेकिन कलमाड़ी तथा वर्मा ने 12 अक्तूबर 2009 को हुई एक बैठक में पहले ही घोषणा कर दी थी कि ठेका स्विस टाइमिंग को दिया जाएगा।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश तलवंत सिंह ने कलमाड़ी, आयोजन समिति के पूर्व महासचिव ललित भनोट तथा नौ अन्य के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से स्विस कंपनी, स्विट टाइमिंग ओमैगा को ठेका दिए जाने के मामले में आरोप तय करने का आदेश जारी किया। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा था। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया आठ आरोपियों तथा तीन कंपनियों के खिलाफ जालसाजी, फर्जीवाड़े , आपराधिक साजिश तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप बनते हैं।
अदालत ने कहा, ‘सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा-201 (सबूतों को नष्ट करना), धारा-420 (धोखाधड़ी), धारा-467, धारा-468 ,धारा- 471 (साजिश संबंधी), धारा-506 (आपराधिक तरीके से डराना धमकाना) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप तय करने का आदेश दिया जाता है।’ न्यायाधीश ने कहा, ‘10 जनवरी को सुबह साढ़े दस बजे औपचारिक रूप से आरोप तय करें।’
सीबीआई ने आरोपियों को वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टाइमिंग, स्कोरिंग तथा रिजल्ट सिस्टम लगाने के लिए गैर कानूनी तरीके से स्विस टाइमिंग को अनाप शनाप दरों पर ठेका दिए जाने के लिए आरोपित किया है। इससे सरकारी खजाने को 90 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। कलमाड़ी और भनोट के अलावा इस मामले के अन्य आरोपियों में आयोजन समिति के महानिदेशक वी के वर्माद्व, महानिदेशक (खरीद) सुरजीत लाल, संयुक्त महानिदेशक (खेल) ए एस वी प्रसाद तथा खंजाची एम जयचंद्रन शामिल हैं। इन लोगों का अब खेल संस्था से कोई संबंध नहीं है।
इस मामले में फरीदाबाद स्थित जैम इंटरनेशनल और हैदराबाद स्थित एकेआर कंस्ट्रक्शन नामक दो विनिर्माण कंपनियों के प्रमोटरों पीडी आर्य और एके मदान तथा एके रेड्डी भी आरोपी हैं। मामले में स्विस टाइम ओमैगा भी आरोपी है। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कलमाड़ी तथा अन्य अधिकारियों ने स्पेनिश कंपनी एमएसएल की कहीं अधिक कम कीमत की बोली को खारिज कर दिया और स्विस टाइमिंग ओमैगा को ठेका दे दिया जिससे सरकारी खजाने को 90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपों पर बहस के दौरान सीबीआई के वकील वीके शर्मा ने तर्क दिया था कि कलमाड़ी तथा अन्य ने स्विस कंपनी द्वारा बोली लगाए जाने से पूर्व ही टीएसआर सिस्टम लगाने के लिए स्विस टाइमिंग को ठेका देने का फैसला कर लिया था। शर्मा ने यह भी कहा था कि टीएसआर लगाने के लिए दो निविदाएं मिली थीं- एक स्विस टाइमिंग की ओर से तथा एक एमएसएल स्पेन की ओर से और दोनों ही निविदाओं को 4 नवंबर 2009 को खोला गया लेकिन कलमाड़ी तथा वर्मा ने 12 अक्तूबर 2009 को हुई एक बैठक में पहले ही घोषणा कर दी थी कि ठेका स्विस टाइमिंग को दिया जाएगा।