सांप्रदायिक हिंसा में यूपी देश भर में अव्वल
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उन्होंने सांप्रदायिक हिंसा के मामले को राज्यों की जिम्मेदारी करार दिया। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में भी उत्तर प्रदेश में ही सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। पिछले साल हुईं 84 घटनाओं में 12 लोग मारे गए। मंत्रालय ने कहा है कि पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। लिहाजा सांप्रदायिक दंगों से निपटने और इस संबंध में आंकड़े रखने की जिम्मेदारी भी उसी की है।
इस मामले में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है जहां इस साल अक्तूबर तक 83 वारदातें हुईं जिनमें 13 की जान गई। पिछले साल महाराष्ट्र में 88 स्थानों पर हिंसा भड़की थी, जिसमें 15 लोग मारे गए थे।
महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और झारखंड का नंबर हैं। कुल मिला कर इस साल अक्तूबर तक पूरे देश में 560 जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा भड़की और 90 लोगों की जान गई। पिछले साल यह आंकड़ा 580 का था।
केंद्र सरकार ने जेलों में बंद मुसलिम युवकों के बारे में भी जानकारी दी। जदयू के सांसद साबिर अली के सवाल के लिखित जवाब में गृह राज्यमंत्री ने कहा है कि जेलों में मुकदमा झेल रहे 241200 आरोपी हैं, जिनमें मुसलिम लड़कों की संख्या 51206 है।
यह संख्या कुल आरोपियों का करीब 21 फीसदी है। जबकि जेलों में बंद दोषी करार दिए गए लोगों की संख्या 128592 है जिसमें मुसलिमों की संख्या 17.8 प्रतिशत है। सरकार ने कहा है कि देश की कानून व्यवस्था धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती है।