प्रख्यात संगीतज्ञ और सितार वादक पंडित रविशंकर नहीं रहे
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गया। सांस लेने में तकलीफ होने के बाद गुरुवार को उन्हें सेन डियागो स्थित ला जोला लास्ट के स्क्रिप्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पंडित रविशंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के ऐसे शख्स थे जिन्हें विश्व संगीत का गॉडफादर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे केवल सितार वादक नहीं, बल्कि एक घराना थे।
पंडित जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उनका परिवार मूलतः पूर्वी बंगाल के जैस्सोर जिले के नरैल का रहने वाला था, जो अब बांग्लादेश में है। सांस्कृतिक नगरी काशी में 7 अप्रैल 1920 को पंडित जी का जन्म हुआ था। आरंभिक जीवन काशी के घाटों पर बीता। पंडित रविशंकर के पिता ख्याति प्राप्त बैरिस्टर थे और राजघराने में उच्च पद पर कार्यरत थे। रविशंकर जब 10 साल के थे तभी संगीत के प्रति उनका प्रेम दिखने लगा हुआ। पंडित रविशंकर ने बचपन में एक नर्तक के रूप में कला जगत में प्रवेश किया। उन्होंने अपने बड़े भाई उदय शंकर के साथ कई नृत्य कार्यक्रम किये।
पंडित रविशंकर देश के उन प्रमुख साधकों में से थे जो देश के बाहर काफी लोकप्रिय हैं। वे लंबे समय तक तबला उस्ताद अल्ला रक्खा खां, किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के साथ जुड़े रहे। वाइलिन वादक येहुदी मेनुहिन और फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ उनके जुड़ाव ने उनके संगीत सफर को नया मकाम प्रदान किया।
पंडित रविशंकर को उनके संगीत सफर के लिए 1999 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया। उन्हें 14 मानद डॉक्ट्रेट, पद्म विभूषण, मेग्सेसे पुरस्कार, तीन ग्रेमी अवॉर्ड और 1982 में गांधी फिल्म में सर्वश्रेष्ठ मौलिक संगीत के लिए जार्ज फेन्टन के साथ नामांकन मिला था।
शास्त्रीय संगीत में पंडित रविशंकर के कद का अंदाजा दो ग्रेमी पुरस्कार विजेता तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के उस बयान से पता चलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे अपने जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार पंडित रविशंकर द्वारा उन्हें `उस्ताद` कहने को मानते हैं। उस वक्त उनकी उम्र केवल 20 वर्ष की थी। पंडितजी के बारे में जार्ज हैरिसन ने कहा है कि रविशंकर विश्व संगीत के गॉडफादर हैं।
पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में दिया था। भारत में पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया था। देश के बाहर पहला कार्यक्रम उन्होंने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में दिया था और यूरोप में पहला कार्यक्रम 1956 में दिया था। 1944 में औपचारिक शिक्षा समाप्त करने के बाद वे मुंबई चले गए और उन्होंने फिल्मों के लिए संगीत दिया। उन्होंने सारे जहां से अच्छा का संगीत बनाया था।