सैनिकों को मानसिक रूप से सबल बनाएगा DRDO
Literature 1:56 AM
नई दिल्ली : बर्फ से ढके सियाचिन में बंकरों में रहने वाले सैनिकों के अकेलेपन और अवसाद को दूर भगाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ऐसे बंकरों का विकास कर रहा है जिसमें उन्हें समुद्र की लहरों, चिड़ियों की चहचहाहट और जंगल से हवा के गुजरने की आवाजें सुनाई देंगी जिससे उन्हें दुनिया से जुड़े होने का अहसास होगा।
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध मैदान में दूरदराज के ठिकानों पर तैनात सैनिकों को ‘सजीव वातावरण’ का अनुभव कराने के लिए डीआरडीओ, ‘प्रोजेक्ट ध्रुव’ नाम की परियोजना पर काम कर रहा है। इसके तहत सैनिकों के मनोवैज्ञानिक मुद्दों को निपटाने के लिए ऐसे बंकर बनाए जाएंगे। डीआरडीओ के मुख्य नियंत्रक (जीवन विज्ञान) डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने कहा, ‘प्रोजेक्ट ध्रुव का उद्देश्य सैनिकों के बंकर में माहौल को बेहतर करना है। दूरदराज के इलाकों में सैनिकों के तनाव को दूर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि एक जैसे माहौल में लगातार रहने की वजह से तनाव का शिकार होने वाले सैनिकों के लिए यह उपाय किए जा रहे हैं जिससे बंकरों के भीतर एक सजीव वातावरण बनाया जा सके। इसके लिए एक अध्ययन किया जा रहा है जो एक साल में पूरा हो जाएगा। इससे आगे बढ़ने के लिए ठोस आधार मिलेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में अकेलेपन और अवसाद की वजह से कई सैनिकों ने आत्महत्या कर ली और कईयों ने दूसरे सैनिकों को भी मार डाला। देश की सबसे महत्वपूर्ण रक्षा शोध एजेंसी, इसके लिए एक उच्च तकनीक के इस्तेमाल की योजना बना रही है। इसके तहत बंकरों में कुछ आधुनिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराकर जवानों के लिए एक बेहतर रहन सहन का माहौल सुनिश्चित किया जा सकेगा। दिल्ली स्थित रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (डीआईपीआर) को जरूरी तकनीक के विकास और समयबद्ध तरीके से शोध करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह बंकर सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों के रूप में हरित ऊर्जा से लैस होंगे। इनमें खुद का ‘बायो-डाइजेस्टर’ होगा जिससे मानव अपशिष्ट का निपटान किया जाएगा। साथ ही इनमें ऐसे उपकरण भी होंगे जिनसे ऊंचे पर्वतीय स्थलों पर होने वाली बीमारियां और सांस की तकलीफों का निपटारा किया जा सके। शुरूआत में ‘प्रोजेक्ट ध्रुव’ के तहत केवल थल सेना आएगी लेकिन बाद में नौसेना को भी इसमें शामिल किया जा सकता है क्योंकि नौसैनिक लंबे समय के लिए समुद्र में जाते हैं और ऐसी ही दूसरी समस्याओं का सामना करते हैं।
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध मैदान में दूरदराज के ठिकानों पर तैनात सैनिकों को ‘सजीव वातावरण’ का अनुभव कराने के लिए डीआरडीओ, ‘प्रोजेक्ट ध्रुव’ नाम की परियोजना पर काम कर रहा है। इसके तहत सैनिकों के मनोवैज्ञानिक मुद्दों को निपटाने के लिए ऐसे बंकर बनाए जाएंगे। डीआरडीओ के मुख्य नियंत्रक (जीवन विज्ञान) डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने कहा, ‘प्रोजेक्ट ध्रुव का उद्देश्य सैनिकों के बंकर में माहौल को बेहतर करना है। दूरदराज के इलाकों में सैनिकों के तनाव को दूर करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।’
उन्होंने कहा कि एक जैसे माहौल में लगातार रहने की वजह से तनाव का शिकार होने वाले सैनिकों के लिए यह उपाय किए जा रहे हैं जिससे बंकरों के भीतर एक सजीव वातावरण बनाया जा सके। इसके लिए एक अध्ययन किया जा रहा है जो एक साल में पूरा हो जाएगा। इससे आगे बढ़ने के लिए ठोस आधार मिलेंगे।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में अकेलेपन और अवसाद की वजह से कई सैनिकों ने आत्महत्या कर ली और कईयों ने दूसरे सैनिकों को भी मार डाला। देश की सबसे महत्वपूर्ण रक्षा शोध एजेंसी, इसके लिए एक उच्च तकनीक के इस्तेमाल की योजना बना रही है। इसके तहत बंकरों में कुछ आधुनिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराकर जवानों के लिए एक बेहतर रहन सहन का माहौल सुनिश्चित किया जा सकेगा। दिल्ली स्थित रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (डीआईपीआर) को जरूरी तकनीक के विकास और समयबद्ध तरीके से शोध करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह बंकर सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों के रूप में हरित ऊर्जा से लैस होंगे। इनमें खुद का ‘बायो-डाइजेस्टर’ होगा जिससे मानव अपशिष्ट का निपटान किया जाएगा। साथ ही इनमें ऐसे उपकरण भी होंगे जिनसे ऊंचे पर्वतीय स्थलों पर होने वाली बीमारियां और सांस की तकलीफों का निपटारा किया जा सके। शुरूआत में ‘प्रोजेक्ट ध्रुव’ के तहत केवल थल सेना आएगी लेकिन बाद में नौसेना को भी इसमें शामिल किया जा सकता है क्योंकि नौसैनिक लंबे समय के लिए समुद्र में जाते हैं और ऐसी ही दूसरी समस्याओं का सामना करते हैं।
Posted by Creative Dude
on 1:56 AM.
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